बचपन मे
जब हम बोल भी नही पाते थे
तेरे घुँघरू की आवाज सुन के खुश होते थे
तू शायद आ रही होगी मेरे पास
जिंदगी के हर मायने बदलते गए
पर नही बदले
तेरे उन घुँघरू के बोल
और न ही मेरी खुशी
ये घुँघरू भी ना
निशब्द होते हुए भी
पहुँचा देते हैं सन्देश
तेरे आने की माँ
और दे जाते हैं
एक सुकून एक एहसास
और इस स्वार्थी दुनिया मे निस्वार्थ प्रेम
🙏🙏💞💞
अंजली मिश्रा ✒✒✒