तेरे घुँघरू के बोल

बचपन मे जब हम बोल भी नही पाते थे तेरे घुँघरू की आवाज सुन के खुश होते थे तू शायद आ रही होगी मेरे पास जिंदगी के हर मायने बदलते गए पर नही बदले तेरे उन घुँघरू के बोल और न ही मेरी खुशी ये घुँघरू भी ना निशब्द होते हुए भी पहुँचा देते हैंContinue reading “तेरे घुँघरू के बोल”

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